कल्याणक
कल्याणक : जैनागम में प्रत्येक तीर्थंकर के जीवनकाल के पाँच प्रसिद्ध घटनास्थलों का उल्लेख मिलता है। उन्हें पंचकल्याणक के नाम से कहा जाता है, क्योंकि वे अवसर जगत् के लिए अत्यन्त कल्याण व मंगलकारी होते हैं। जो जन्म से ही तीर्थंकर प्रकृति लेकर उत्पन्न हुए हैं उनके तो 5 कल्याणक होते हैं, परन्तु जिसने अंतिम भव में ही तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध किया है उसको यथा सम्भव चार व तीन व दो भी होते हैं, क्योंकि तीर्थंकर प्रकृति के बिना साधारण साधकों को वे नहीं होते हैं। नवनिर्मित जिनबिम्ब की शुद्धि करने के लिए जो पंचकल्याणक प्रतिष्ठा पाठ किये जाते हैं वह उसी प्रधान पंच कल्याणक की कल्पना है जिसके आरोप द्वारा प्रतिमा में असली तीर्थंकर की स्थापना होती है।
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