कर्मफल चेतना
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ऐसा अनुभव करना कि इसे मैं भोगता हँ’ यह कर्मफल- चेतना है । अज्ञानी संसारी जीव इन्द्रिय-जनित सुख-दुख में तन्मय होकर सुखी या दुखी’ ऐसा अनुभव करता है यही कर्म-फल-चेतना है ।
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