कर्म
कर्म शब्द के अनेक अर्थ हैं जैसे ‘घटं करोति’ में कर्मकारक के रूप में कर्म शब्द का प्रयोग क्रिया है ‘कुशला कुशलं कर्म’ में पुण्य – पाप के रूप में शब्द का प्रयोग है। उत्क्षेपण, अवक्षेपण गमन आदि में कर्म का क्रिया अर्थ भी लिया गया है। आस्रव के प्रकरण में क्रिया अर्थ ही विवक्षित है अतः जो जीव को परतन्त्र करता है अथवा जीव जिसके द्वारा परन्तत्र किया जाता है उसे कर्म कहते हैं अथवा जीव के द्वारा मिथ्यादर्शन आदि परिणामों से जो किए जाते हैं या उपार्जित होते हैं वे कर्म है। कर्म तीन प्रकार का है- द्रव्य कर्म, भाव कर्म और नो कर्म। (देखें वह वह नाम) ।