कथा
1. मोक्ष पुरुषार्थ के लिए उपयोगी होने से धर्म, अर्थ और काम पुरुषार्थ का कथन करना कथा कहलाती है। 2. जिससे जीवों को स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति होती है वह धर्म कहलाता है। धर्म से संबंध रखने वाली कथा को धर्मकथा या सत्कथा कहते हैं। 3. प्रथमानुयोग आदि शास्त्र ही धर्मकथा है। आक्षेपिणी, विक्षेपिणी, संवेगनी और निर्वेगनी ये चार धर्म-कथा के भेद हैं ।