एकान्तानुवृद्धि
एकान्त से अर्थात् नियम से अपने-अपने काल में प्रथम समय से लेकर अंतिम समय तक प्रतिसमय असंख्यात गुणी अविभाग प्रतिच्छेदों की वृद्धि जिसमें हो, उसे एकान्तानुवृद्धि स्थान ऐसा नाम दिया गया है। उत्पन्न होने के द्वितीय समय से लेकर शरीर पर्याप्ति से अपर्याप्त रहने के अन्तिम समय तक एकान्तानुवृद्धि योग होता है।