उत्सर्ग मार्ग
शुद्धात्मा के सिवाय अन्य जो कुछ भी बाह्य व अभ्यन्तर परिग्रह है उस सबका त्याग ही उत्सर्ग है। निश्चयनय सर्वपरित्याग, उत्सर्ग परम-उपेक्षा संयम, वीतराग चारित्र या शुद्धोपयोगये सब एकार्थवाची हैं। बाल, बृद्ध, श्रमित या रोगी श्रमण को भी शुद्धात्म तत्व का साधन होने से मूलभूत संयम का विघात जिस प्रकार न हो उस प्रकार अपने योग्य कठोर आचरण ही आचरना चाहिए इस प्रकार उत्सर्ग मार्ग है। यह उत्सर्ग मार्ग, अपवाद मार्ग से निरपेक्ष नहीं होना चाहिए अर्थात् देशकाल की स्थिति जानकर अपवाद सापेक्ष ही उत्सर्ग मार्ग का पालन करना श्रेयस्कर है।