उच्छ्वास नामकर्म
साँस लेने को उच्छ्वास और साँस छोड़ने को निःश्वास कहते हैं। जिस कर्म के निमित्त से जीव उच्छ्वास और निःश्वास रूप क्रिया करने में समर्थ होता है उसे उच्छ्वास नामकर्म कहते हैं। पँचेन्द्रिय जीवों के जो शीत या उष्ण आदि से लम्बे उच्छ्वास–निःश्वास होते हैं वे श्रोत्र और स्पर्शन इन्द्रिय के प्रत्यक्ष होते हैं और श्वासोच्छ्वास या प्राणापान पर्याप्ति सर्व संसारी जीवों में होती है, वह श्रोत्र व स्पर्शन इन्द्रिय से ग्रहण नहीं की जा सकती। यही उच्छ्वास नामकर्म और श्वासोच्छ्वास या प्राणापान पर्याप्ति में अन्तर है।