इन्द्रिय जय
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पाँचों इन्द्रियों को ज्ञान, वैराग्य और उपवास आदि के द्वारा वश में रखना इन्द्रिय – जय कहलाता है। यह पाँचों इन्द्रियों के भेद से पाँच प्रकार का है। यह साधु का मूलगुण है।
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