आर्यिका
जो उपचार से पाँच महाव्रतों का पालन करे, एक काल भोजन करे, एक वस्त्र रखे यह स्त्रियों का आर्यिका लिंग है। आर्यिका का लिंग सावरण कहा गया है। जिनके वस्त्र और केश विन्यास रहित हैं, शरीर पसीना आदि से लिप्त तथा साज श्रृंगार आदि से रहित होता है धर्म, कुल, यश और दीक्षा के अनुरूप जिनका शुद्ध आचरण होता है ऐसी आर्यिकाएँ होती हैं। मुनि के समाचार के अनुरूप ही आर्यिका के समाचार का वर्णन है अर्थात् दिवस और रात्रि सम्बन्धी सभी क्रियायें मुनियों के सदृश ही हैं। जैसा प्रायश्चित मुनियों के लिए कहा गया है वैसा ही आर्यिकाओं के लिए कहा गया है विशेष इतना है कि वृक्षमूल योग, आतापन योग, अभ्रावकाश योग आदि तथा मूल स्थान तथा परिहार ये प्रायश्चित भी आर्यिकाओं के लिए नहीं हैं ।