आत्मा
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1. दर्शन, ज्ञान चारित्र को जो सदा प्राप्त हो वह आत्मा है । 2. जो यथासंभव ज्ञान सुखादि गुणों में सर्वप्रकार वर्तता या परिणमन करता है वह आत्मा है। 3. शुद्ध चैतन्य लक्षण का धारक आत्मा है । आत्मा की तीन अवस्थाएँ हैं, बहिरात्मा, अन्तरात्मा, परमात्मा ।
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