अष्टशुद्धि
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अवहृत संयम के प्रतिपादन के लिए आठ शुद्धियों का उपदेश दिया गया है। भाव शुद्धि, काय शुद्धि, विनय शुद्धि, ईर्यापथ शुद्धि भिक्षा शुद्धि, प्रतिपादन शुद्धि, शयनाशयन शुद्धि और वाक् शुद्धि ।
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