अवमौदर्य
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जो जिसका स्वभाविक आहार है उससे कम आहार ग्रहण करने की प्रतिज्ञा करना अवमौदर्य-तप है। संयम के प्रति सजगता रखने, दोषों का शमन करने, संतोष एवं स्वाध्याय की सुख पूर्वक सिद्धि के लिए यह तप धारण किया जाता है 1
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