अलौकिक शुचि
कर्ममल कलंकों को धोकर आत्मा का आत्मा में ही अवस्थान लोकोत्तर शुचित्व या अलौकिक शुचि है। इसके साधन सम्यग्दर्शन आदि रत्नत्रयधारी साधुजन तथा उनसे अधिष्ठित निर्वाण भूमि आदि मोक्ष प्राप्ति के उपाय होने से शुचि है। काल, अग्नि, भष्म, मृतिका, गोबर, पानी, ज्ञान और ग्लानिरहितपना इस प्रकार लोक प्रसिद्ध शुचित्व आठ प्रकार का है।