अर्थापत्ति
जैसे ‘मेघ के अभाव में वृष्टि नहीं होती’ ऐसा कहने पर अर्थापत्ति से ही जाना जाता है कि मेघ के होने पर वृष्टि होती है अथवा अहिंसा धर्म है ऐसा कहने पर अर्थापत्ति से जाना जाता है कि हिंसा अधर्म है। नहीं कहे गए जो अर्थापत्ति आदि प्रमाण हैं उन्हें अनुमान के समान होने के कारण श्रुतज्ञान में गर्भित किया गया है।