अरनाथ
अठारहवें तीर्थंकर एवं सातवें चक्रवर्ती । सोमवंशी राजा सुदर्शन और रानी मित्रसेना के यहां जन्म लिया। इनकी आयु चौरासी हजार वर्ष थी। शरीर तीस धनुष ऊँचा और स्वर्ण के समान आभा वाला था। चक्रवर्ती होने के कारण इनके छयानवें हजार रानियाँ और विपुल वैभव था । शरद ऋतु के मेघों का अकस्मात् विलय होते देखकर इन्हें वैराग्य हुआ और अपने पुत्र को राज्य देकर इन्होंने जिनदीक्षा ले ली। सोलह वर्ष की कठिन तपस्या के उपरान्त इन्हें केवलज्ञान हुआ। इनके समवसरण में तीस गणधर, पचास हजार मुनि, साठ हजार आर्यिकाएँ, एक लाख साठ हजार श्रावक एवं तीन लाख श्राविकाएँ थी। इन्होंने सम्मेद शिखर प्राप्त किया।