अन्यथानुपपत्ति
प्रत्यक्ष और आगमादि अन्य प्रमाणों के द्वारा ग्रहण किया गया कि साधन अन्यथा हो नहीं सकता, इस प्रकार ऊहापोह हेतु का लक्षण है। प्रश्न – विपक्ष में हेतु के सद्भाव के बाधक प्रमाण की व्यावृत्ति हो जाने पर हेतु की कौन सी शक्ति है, जो कि साध्य की सिद्धि हो सके यह साधन अन्यथा हो नहीं सकता, इस प्रकार की अन्यथानुपपत्ति की ही सामर्थ्य है। व्युत्पन्न पुरुष के लिये तो अन्यथानुत्पत्ति रूप हेतु का प्रयोग ही पर्याप्त है वे लोग तो उदाहरणादि के प्रयोग के बिना ही हेतु के प्रयोग से ही व्याप्ति का निश्चय कर लेते हैं। अन्यथानुपन्नत्व से शून्य जो हेतु के तीन लक्षण दिये गये है वे सब अकिंचित्कर हैं उन सब को हम हेत्वाभास कहते हैं।