अन्तकृत् केवली
जो भीषण उपसर्गों को जीतकर केवलज्ञान होते ही सम्पूर्ण कर्मों का अन्त अर्थात् विनाश करते हैं वे अन्तकृत् केवली कहते हैं। वर्धमान वे तीर्थंकर के तीर्थ में नमि, मतंग, सोमिल, रामपुत्र, सुदर्शन, यमलीक, बलीक, किष्किम्बिल, पालम्ब और अष्टपुत्र ये दस दारुण उपसर्गों को जीतकर सम्पूर्ण कर्मों के क्षय से अन्तकृत केवली हुए।