अनिसृष्ट
अनीशार्थ के दो भेद है- ईश्वर और अनीश्वर । दोनों के मिलाकर चार भेद है- पहला भेद ईश्वर सारक्ष तथा ईश्वर के तीन भेद- व्यक्त, अव्यक्त, संघाट । दान का स्वामी देने की इच्छा करें और मंत्री आदि मना करें तो दिया हुआ भोजन भी अनीशार्थ है। स्वामी से अन्य जनों का निषेध किया अनीश्वर कहलाता है। वह व्यक्त अर्थात् वृद्ध अव्यक्त अर्थात बाल और संघाट, दोनों के भेद से तीन प्रकार का है।