अनिवृत्तिकरण
समान समयवर्ती जीवों के परिणामों की भेद रहित वृत्ति को निवृत्ति कहते हैं । अर्थात् निवृत्ति शब्द का अर्थव्यावृत्ति है। अतएव जिन परिणामों की निवृत्ति या व्यावृत्ति नहीं होती उन्हें अनिवृत्ति कहते हैं। इस गुणस्थान में अंतरमुहूर्त काल में से विवक्षित किसी एक समय में अवस्थित जीव यतः संस्थान (शरीर का आकार ) आदि की अपेक्षा जिस प्रकार निवृत्ति या भेद को प्राप्त होते हैं, उस प्रकार परिणामों की अपेक्षा परस्पर निवृत्ति को प्राप्त नहीं होते हैं, अतएव वे अनिवृत्तिकरण कहलाते हैं । अनिवृत्तिकरण गुणस्थान वर्ती जीवों के प्रति समय एक ही परिणाम होता है। ऐसे ये जीव अपने अतिविमल ध्यान रूप अग्नि की शिखाओं से कर्म रूप वन को सर्वथा जला देते हैं। अनवृत्तिकरण रूप परिणामों की विशुद्धि से कर्म प्रकृतियों को स्थूल रूप से उपशम या क्षय करने वाला उपशामक या क्षपक अनिवृत्तिकरण होता है।