अनिबद्धमंगल
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जो ग्रंथ में ग्रंथकार द्वारा देवताओं को नमस्कार किया जाता है अर्थात् लिपिबद्ध नहीं किया जाता बल्कि शास्त्र लिखना या वाचना प्रारम्भ करते समय मन वचन काय से जो नमस्कार किया जाता है उसे अनिबद्ध मंगल कहते है ।
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