अनायतन
सम्यक्त्वादि गुणों का आयतन – घर, आवास, आश्रय (आधार ) करने का निमित्त उसको आयतन कहते हैं और इससे विपरीत को अनायतन कहते हैं। मिथ्यादेव, मिथ्यादेवों की सेवा, मिथ्यातप, मिथ्यातपस्वी, मिथ्याशास्त्र और मिथ्याशास्त्रों के धारक इस प्रकार छ: अनायतन सराग सम्यग्दृष्टियों को त्याग करना चाहिये। कुदेव, कुगुरु, कुशास्त्र के तथा इन तीनों के उपासकों के घरों में आना जाना इसको षट् अनायतन ऐसा नाम दिया है।