अनात्मभूत कारण
ज्ञानदर्शन रूप उपयोग के अतिरिक्त प्रकरण में आत्मा से सम्बद्ध शरीर में निर्मित चक्षु आदि इन्द्रियाँ आत्मभूत बाह्य हेतु हैं और प्रदीप आदि अनात्मभूत बाह्य हेतु है। मन वचन काय की वर्गणाओं के निमित्त से होने वाला आत्मप्रदेश परिस्पन्दन रूप द्रव्ययोग अन्तः प्रविष्ठ होने अभ्यन्तर अनात्मभूत हेतु है। और द्रव्ययोग निमित्तक ज्ञानरूप भावयोग तथा वीर्यान्तराय तथा ज्ञानदर्शनावरण के क्षयोपशम के निमित्त से उत्पन्न आत्मा की विशुद्धि अभ्यन्तर आत्मभूत हेतु है।